बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

अपने शहर में कैसे शुरू करें पशु अपराध विरोधी-दस्ता Squad against animal crime

भारत में जानवरों को क़त्ल के लिए बेचना एक बहुत बड़ा व्यापार बन चुका है. विशेष रूप से गौवंश की तस्करी एक राज्य से दूसरे राज्य में ज़ोरों पर है. गौवंश हत्या पर प्रतिबन्ध वाले राज्यों से गाय, बैल, बछड़े आदि को दूसरे राज्यों में तस्करी करके ले जाया जाता है.

भारत के लगभग हर छोटे बड़े शहर में ऐसे अपराधी हैं जो बाघ की खाल से लेकर मुनिया जैसे छोटे पक्षी को बेचते हैं. ऐसा पिछले ६३ वर्षों से चल रहा है और हम जैसे नागरिकों ने इन अपराधों को रोकने का जिम्मा सिर्फ सरकार पर छोड़ रखा है. सरकारी अफसर इतने भ्रष्ट हो चुके हैं कि कई बार तो ये स्वयं ही ऐसे व्यापार को नियंत्रित करते हैं.
ये सब इसलिए भ्रष्ट हैं क्योंकि हम ‘नागरिक’ खुद कोई कदम उठाना नहीं चाहते, सिर्फ कोसने भर का काम हम ज़रूर करते हैं.
आज देश में प्रति १००० व्यक्तियों पे केवल १०० गौवंश ही शेष बचा है.अगर आज हम इन अपराधियों/कसाइयों के विरुद्ध कदम उठाते हैं और उनकों कड़ा सबक सिखा दें तो शायद देश का पशुधन बच जाएगा.
गौवंश, गौमाता, वन्यजीवों के संरक्षण में लगी अखिल भारतीय कत्लखाना एवं हिंसा विरोध समिति विभिन्न कस्बों और शहरों में चुंगी नाकों पर पशु-रक्षा चौकियां स्थापित कर रही है.आप भी इसमें सहयोग कर सकते हैं:
 गौरक्षा, पशु-कल्याण एवं पशु-रक्षा से जुड़े कानूनों का अध्ययन करे.

 अपने शहर के पशु-चिकित्सकों नाम-पते-फोन न. वाली एक सूची तैयार करें.
 अपने शहर एवं आसपास स्थित गौशालाओं के नाम पते व संपर्क न. की सूची तैयार करें.
 गौशालाओं तक पहुँचने के रास्ते के नक़्शे तैयार करें.
 गाय, बैल, बछड़े व अन्य जानवरों को सम्भालने व उनके प्राथमिक उपचार सम्बन्धी नोट्स तैयार करें, ऐसी जानकारी इंटरनेट पर आसानी से मिल जाती है.
 पुलिस, वन्यजीव विभाग, बजरंगदल, विहिप एवं अन्य पशु-रक्षा संगठनों के साथ अच्छे सम्बन्ध बना कर रखें क्योंकि गैरकानूनी रूप से बैलों-गायों व अन्य जानवरों के परिवहन को रोकने के लिए सफल ‘छापेमारी एवं बचाव’ के समय इनकी उपस्थिति आवश्यक है.
 सम्बंधित थाने (जो उस क्षेत्र पर निगरानी रखता है) के पुलिस अधिकारियों से समय समय पर मिलते रहें, संपर्क बना कर रखें. इससे पकड़ा-धकड़ी और छापेमारी के समय काफी मदद मिलती है.
 वन्यजीव अधिकारियों तथा पुलिस के अधिकारियों जैसे संयुक्त आयुक्त, एसीपी, टीआई आदि के नाम और फोन नम्बरों की सूची  तैयार रखें
 गौवंश-वन्यजीव एवं पशु अपराधों को रोकने के लिए खबरी लोगों की टीम तैयार करें जो स्थानीय क्षेत्र में कसाइयों/अपराधियों की गतिविधियों पर नज़र रखते रहें और महत्पूर्ण सूचनाएँ समय पर देते रहें, खबरी लोगों को सही सूचनाएँ देने पर इनाम आदि देते रहें.
 आसपास की मांस दुकानों तथा वैध- अवैध कत्लखानों का निरीक्षण करते रहें कि वहाँ गाय, बछड़े आदि लाये जाते हैं या नहीं? पता लगाएं कि क्या उन दुकानों पर गाय का मांस बेचा जाता है ? यदि नहीं तो झूठी पूछताछ करें कि वह क्या कसाई /मांस विक्रेता आपको गाय का मांस उपलब्ध करवा सकता है?
 पशुरक्षा/पशुकल्याण-वन्यजीव-गौरक्षा सम्बन्धी कानूनों में अच्छी पकड़ रखने वाले वकीलों को अपने साथ जोड़ें ताकि वे आपको अदालत एवं पुलिस थाने में पूरी की जाने वाली औपचारिकताओं/प्रक्रियायों के बारे में सहायता कर सकें.
 अपने शहर के सभी अखबारों तथा समाचार चैनलों के गौरक्षा-वन्यजीव सम्बन्धी अपराधों/समाचारों को कवर करने वाले पत्रकारों/रिपोर्टरों के नाम, संपर्क न., ई-मेल आदि की सूची तैयार रखें.
 पकड़ा-धकड़ी और छापेमारी की खबर को तुरंत एस.एम.एस. कर दें या फिर प्रेस नोट बनाकर अपराध-स्थल, बचाए गए जानवरों तथा पकड़े गए आरोपियों के फोटो के साथ तुरंत फैक्स/ई-मेल कर दें.
 प्रेस-नोट में छापेमारी/अपराध की तिथि, समय, स्थान, तथा जब्त किये गए सामान/जानवर आदि का पूर्ण विवरण, छापेमारी में सहयोग करने वाले थाने का नाम, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नाम (उनके पदनाम सहित जैसे DCP, additional DCP, ACP or SHO rank आदि), आरोपियों के नाम, पते एवं उनपर लगायी गयी धाराओं तथा अधिनियम का विवरण.
 समय-समय पर केस की ताजा स्थिति पता लगते रहें क्योंकि अक्सर ऐसा होता है कि पशु-कल्याण संगठन पुलिस को केस सौंपने के बाद ध्यान नहीं देते और अपराधी फिर से अपना धंधा/काम चालू कर देते हैं, परन्तु यदि हम एक-दो वकील लगाकर रखेंगे तो आरोपी पर केस चलाया जाएगा.
ध्यान रहे छापेमारी में बचाए गए पशुओं की ठीक तरह से देखभाल होती रहे, समिति इस बात को सुनिश्चित करे, कार्यकर्ता समय -२ पर निरीक्षण करने गौशाला जाएँ.
शुरू-शुरू में पुलिस डराएगी,इन सब कामों से दूर रहने को कहेगी क्योंकि ऐसे कामों में उनका भी हफ्ता बंधा होता है, इसलिए अपने पशुरक्षा के संकल्प को याद रखें, और अपना कार्य जारी रखें, पुलिस की कार्यवाही के लिए एस.एच.ओ. से शुरू करके ए.सी.पी., उसके बाद ज़रूरत पड़ने पर डी.सी.पी. और कमिश्नर के पास तक जाएँ, ऐसा करने पर पुलिस ज़रूर एक्शन लेगी.और इतने पर भी कोई सहयोग न करे तो अपने वकील को कहें कि वह मामले को किसी भी तरह अदालत तक ले जाए. मीडिया को मामले को सही तरीके से उठाने के लिए राज़ी करें.
गौवंश के गैरकानूनी परिवहन (ट्रांसपोर्टेशन) या गैरकानूनी हत्या/ क़त्ल की पुख्ता जानकारी होने पर छापेमारी के स्थान पर मीडिया का इस्तेमाल करें.

माननीया मेनका गाँधी के आलेख पर आधारित


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