गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

गाय: आप क्या सोचते हैं इन मूक निर्दोंष पशुओं के बारे में

गाय देश का
धर्मशास्त्र है, कृषिशास्त्र है
अर्थशास्त्र है, नीतिशास्त्र है।
उद्योगशास्त्र है, समाजशास्त्र है
विज्ञानशास्त्र  है, आरोग्यशास्त्र है।
पर्यावरणशास्त्र है, अध्यात्मशास्त्र है।
दाँतों तले तृण दाब कर दीन गायें कह रहीं,
हम पशु तुम हो मनुज, पर योग्य क्या तुमको यही।
हमने तुम्हें माँ की तरह है दूध पीने को दिया।
देकर कसाई को हमें, तुमने हमारा वध किया।
क्या वश हमारा है भला, हम दीन हैं बलहीन हैं।
मारो कि पालो कुछ करो तुम, हम सदैव अधीन हैं ।
प्रभु के यहाँ से  कदाचित आज हम असहाय हैं।
इससे अधिक अब क्या कहें, हाँ हम तुम्हारी गाय हैं ।
जारी रहा यदि, यही क्रम यहाँ यों ही हमारे नाश का।
तो अस्त समझो सूर्य भारत भाग्य के आकाश का।
जो तनिक हरियाली रही, वह भी नहीं रह पाएगी।
यह स्वर्णभूमि कभी मरघट ही बन जाएगी।
-राष्ट्रकवि  मैथिलीशरण गुप्त

१९४७ में जब देश स्वतंत्र हुआ तब प्रति १००० व्यक्ति पे लगभग ६५० गायें थीं, दूध, घी की नदियाँ बहती थीं और आज रक्त का सागर उमड़ रहा है, प्रति १००० व्यक्ति पे  आज मात्र यह संख्या ६०-६५ हो गयी है, दूध, घी के दाम आसमान छू  रहे हैं.  स्थिति बहुत भयावह है, आने वाले २-३  वर्षों में दूध के दाम १५० रूपये लीटर हो जाएँ  तो बड़ी बात नहीं.
और  पीने का   पानी भी दुर्लभ होता जाएगा क्योंकि एक मध्यम आकार के कत्लखाने में हर दिन १६ लाख लीटर से ज्यादा साफ़ पानी की आवश्यकता पड़ती है.
अब आप ही सोचिए,मुंबई दिल्ली जैसे शहरों में आम जनता के लिए पानी सप्लाई में कटौती नहीं होगी तो क्या होगा !इन कत्लखानों को पानी बिजली की आपूर्ति निरंतर चालू   रहती है भले ही गाँव और शहर के लोग पानी – बिजली के लिए तरसते रहते हैं.
इस समय सरकार देश में ४०,००० से ज्यादा कत्लखाने चला रही है जिनमें  हर दिन 6-8 लाख बेजुबानों को बड़ी ही क्रूरता से क़त्ल किया जा रहा है, और आने वाले दिनों में ५३० नये अत्याधुनिक कत्लखाने खोलना चाहती है.
क्या इसी तरह  देश के पशुधन का नाश होता रहेगा?
क्या पशु पीड़ा का अनुभव नहीं करते ?
हमने नवी मुंबई (वाशी में) गायों और सभी निरीह/निर्दोष अबोल पशुओं को संरक्षण देने के लिए ‘ अखिल भारतीय कत्लखाना एवं हिंसा विरोध समिति’ का गठन किया है. जो जल्द ही पूरे भारत में  एक जन आन्दोलन खड़ा करेगी. और इसकी शुरुआत हमने नवी मुंबई में बनने वाले कत्लखाने को रद्द करवा के कर दी है.
आज हर भारतीय का फ़र्ज़ है कि वो गायों व अन्य पशुओं के प्रति संवेदनशील बने, वर्ना आने वाले समय में भारत गाय विहीन हो जाएगा. जो भारतवासी पर्यावरण और प्रकृति के प्रति जागृत हैं हम उन सबका आह्वान करते हैं.
आपसे अनुरोध है इस आन्दोलन में तन, मन और धन जैसे हो सके सहयोग करें. समिति से जुड़ने के लिए अपना विवरण (नाम, पाता, मोबाइल/फोन न., ईमेल) हमको भेज दें या ईमेल कर दें:
पता:
अखिल भारतीय कत्लखाना एवं हिंसा विरोध समिति’
चंद्रलेखा सोसाइटी, जैन मंदिर के पीछे,
सेक्टर ९,  वाशी, नवी मुंबई ४००७०३
महाराष्ट्र.
संपर्क: 0९७०२२-६८४०७
ईमेल आई डी: pashuraksha@gmail.com

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