बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

भारतवासियो ! जागो कहीं देर न हो जाए

(चीन के विषाक्त दुग्ध एवं दुग्ध उत्पादों सम्बन्धी समाचारों पर प्रतिक्रिया.)
भारत सरकार ने मेलामाइन के कारण चीन से दुग्ध एवं दुग्ध उत्पादों के आयात पर प्रतिबन्ध लगा दिया है, परन्तु प्रश्न यह है कि हमारे देश में दुग्ध एवं दुग्ध उत्पादों का आयात क्यों किया जाता है जबकि सरकार हमेशा कहती है हम दुनिया भर में दूध के सबसे बड़े उत्पादक हैं और साथ ही सबसे बड़े निर्यातक. ये सचमुच बहुत ही शर्मनाक बात है हम सबके लिए.  
क्योंकि सरकार तो भारत की जनता को मांसाहारी बनाना चाहती है और भारत को दुनिया का सबसे बड़ा मांस निर्यातक देश, ऐसी स्थिति में चौगुनी तेज़ी से देश भर में नये-२ कत्लखाने खुल रहे हैं, गाय, बैल, बकरियाँ, बछड़े आदि जानवर सामाजिक जीवन से गायब किये जा रहे हैं. सरकार की योजनाओं को www.mofpi.nic.in  पर देखा जा सकता है. आज हमारे पास समय है जब हम इन कत्लखानों को रोक सकते हैं. हमें जागना ही होगा वर्ना भारत का पशुधन पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा और तब भारत भारत नहीं रह जाएगा. 
हमारा मानना है कि यदि भारत सरकार मांस निर्यात और मांसाहार को प्रोत्साहन देने के बजाय पशुधन के संरक्षण और विकास पर ध्यान दे तो भारत दुनिया की  सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बन सकता है, और साथ ही पूरे देश में गौवंश की हत्या पर पूर्ण और सख्त प्रतिबंद लगा दे तो भारत को कभी भी दूध का आयात नहीं करना पड़ेगा. 
दुनिया के विकसित देश इस बात को अच्छी तरह से समझ चुके हैं कि कत्लखाने और मांसाहार पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं, जलवायु परिवर्तन में एक बड़ा कारण हैं  इसलिए इन देशों में नये कत्लखाने नहीं खोले जा रहे हैं बल्कि शाकाहार को प्रोत्साहन दिया जा रहा है.  पर हमारी सरकार और राजनेताओं को इस सब से कोई सरोकार नहीं है, उनका तो परम लक्ष्य देश के पशुधन को नष्ट करना और भारत को दुनिया न. १ मांस निर्यातक देश बनाना है.
यदि सरकार का एजेंडा सफल हो जाता  है तो आने वाले ७-१० वर्षों में भारत से गायें और ४-५ वर्षों में ऊँट नष्ट हो जाएंगे और भारत एक ‘पशुविहीन देश हो जाएगा. बंगलादेश, हमारा पड़ोसी देश, एक ऐसा देश है जहाँ आज की तारीख में एक भी गाय/भैंस  नही बची है,  सबको मारकर मांस बेच दिया गया. अब गायें भारत से तस्करी होकर बंगलादेश ले जाई जाती हैं और हमारी पूज्य गौमाता को मारकर यह देश हर साल १ लाख टन गोमांस निर्यात करता है. क्या यह स्थिति हम रोक नहीं सकते? हमको जागना ही होगा. 
आइये और हमारे ‘अखिल भारतीय कत्लखाना विरोध अभियान’ से जुड़िये.  हम सभी पाठकों से विनम्र आग्रह करते हैं कि वे हमारी वेबसाइट www.ahimsasangh.org को अपने दोस्तों/परिजनों/रिश्तेदारों/ व्यापारिक साझेदारों/ग्राहकों के बीच प्रचारित करें.  
हम सभी भारतवासियों को मिलकर देश में बह रही खून की नदियों को रोकना होगा. सरकार द्वारा प्रस्तावित ५३० नये कत्लखानों को रोकना होगा. यदि हम जाग गए तो देश में फिर से दूध और घी की नदियाँ बहने लगेंगी.

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