पर्याप्त भंडारण के अभाव में हर वर्ष अरबों रुपये के अनाज और फल-सब्जी हो जाते हैं नष्ट
पर सरकार का ध्यान भंडार-गृह बनाने की बजाय नये-२ कत्लखानों
को खोलने और उनको अरबों की सब्सिडी देने पर ज्यादा है
इसी तरह पिछले वर्ष २ करोड़ टन से ज़्यादा अनाज
नष्टहो गया था और इस वर्ष भी इतना ही अनाज भण्डारण की कमी के कारण इस साल की बारिश
में नष्टहोने वाला है। बड़ी ही शर्मनाक स्थिति है हमारे देश में, जबकि ३५% से अधिक
जनसंख्या के पास दो जून की रोटी भी उपलब्ध नहीं हो पाती है और करोड़ों टन गेहूँ
सड़ने के लिए खरीदा जा रहा.
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फल और सब्जी
उत्पादक है। खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री चरण दास महंत ने हाल ही में राज्यसभा
में एक प्रश्न के लिखित उत्तरमें यह
जानकारी दी है। दूसरी हकीकत यह भी है कि पिछले कुछ सालों से खाद्य महंगाई में
बढ़ोतरी के लिए इनके दामों में तेजी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। अगर इनका सही
से भंडारण हो तो न सिर्फ खाद्य महंगाई से निजात मिलेगी बल्कि करोड़ों गरीबों को
पर्याप्त पोषक आहार मिल सकेगा। राष्ट्रीय न्यादर्श सर्वेक्षण संगठन (रान्यासस)
अथवा [एनएसएसओ] ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ६०
प्रतिशत से ज्यादा ग्रामीण मुफलिसी में जीते
हैं। वे रोजाना सिर्फ ३५ रुपये ही खर्च पाते हैं। फलों और सब्जियों की ऊंची कीमतों
के चलते उन्हें पर्याप्त पोषण नहीं मिल पा रहा है और वे कुपोषण का शिकार हो रहे
हैं।
थोक मूल्यों पर आधारित खाद्य महंगाई की दर
मार्च में बढ़कर ९.९४ प्रतिशत हो गई है। यह फरवरी में ६.०७ प्रतिशत थी। इस दौरान सब्जियों की कीमतों में
पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले ३०.५७ प्रतिशत की तेज बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।
अप्रैल के आंकड़े जल्द ही आने वाले हैं। चरण दास महंत ने बताया कि वर्ष २०१०-११ में सात करोड़ ४८
लाख ७७
हजार टन फलों का उत्पादन हुआ है। वहीं,
इस दौरान देश के किसानों ने १४ करोड़ ६५
लाख ५४
हजार टन सब्जियां उगाईं मगर शीतागार की कमी के चलते इनमें से १८ प्रतिशत फसल नष्टहो गई।
सरकार कत्लखाने ना खोले बल्कि जो अकूत धनराशि मांस-निर्यातकों को अनुदान और सब्सिडी के रूप में दी जा रही है उससे नये-२ भंडार-गृह बनवाए तभी अरबों रुपये की बर्बादी रुकेगी.
यह बड़ा ही मूर्खतापूर्ण है कि अनाज के भण्डारण के लिए नये-२ भंडार-घर बनाने के लिए सरकार के पास धन की कमी है पर नये कत्लखाने स्थापित करने, पुराने कत्लखानों का उन्नयन करने के लिए सरकार दिल खोलकर हम करदाताओं का धन लुटा रही.
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