शुक्रवार, 2 मार्च 2012

शाकाहार करोगे तो मूड बन जाएगा !!



पोषण आहार विशेषज्ञ और ‘फोर्क्स ओवर नाइव्स’ जैसी फिल्मों का हम आभार मानते हैं जिनकी वजह से अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में तेजी से शाकाहार का प्रचार-प्रसार हो रहा है, हम पहले से जानते हैं कि मांसाहार और कई घातक रोगों में में सीधा और मजबूत सम्बन्ध होता है, जैसे कि मधुमेह, मोटापा एवं ह्रदय-रोग आदि. वैसे तो हमारे देश में एक कहावत प्रचिलित है ‘ जैसा खावे अन्न, वैसा होवे मन’.
हमारे देश में आगमों और धार्मिक ग्रंथों में शाकाहार को सर्वश्रेष्ठ जीवन शैली का अनिवार्य अंग माना गया है और अब अमेरिका से प्रकशित एक पत्रिका ‘न्यूट्रीशनल जर्नल’ में एक अध्ययन प्रकाशित हुआ है जिसमें इस बात की पुष्टि की गयी है कि मांसाहार हमारे मन-मस्तिष्क को बुरी तरह प्रभावित करता है अर्थात हमारे मूड पर दुष्प्रभाव डालता है.
शोधकर्ताओं ने लगभग ४० मांसाहारी व्यक्तियों को तीन प्रकार के आहार १. पूर्ण शाकाहार, २. थोड़ी मछली अथवा ३. प्रतिदिन मांस का सेवन करने के लिया कहा. केवल दो सप्ताह के भीतर ही आश्चर्यजनक परिणाम सामने आये, जो व्यक्ति सिर्फ शाकाहार का सेवन कर रहे थे उनमें तनाव काफी कम था और वे काफी हल्का अनुभव कर रहे थे जबकि मांसाहारियों में ठीक इसके उलट ‘तनाव’ अधिक था.
शोधकर्ताओं के अनुसार, इन परिणामों से पता चलता है कि ‘मांस, मछली/मुर्गा आदि से बना आहार किसी भी व्यक्ति की मानसिक स्थिति को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने में सक्षम है. इन शोधकर्ताओं का मानना है कि मांस आधारित आहार से न केवल स्वास्थ्य सम्बन्धी जोखिमों को कम किया जा सकता है बल्कि इससे पर्यावरण को भी लाभ मिलता है.
विज्ञान के निरंतर शोधो और खोजों से यह बात पुष्ट होती जा रही है कि मानव शरीर के स्वास्थ्य के लिए शाकाहार ही सर्वोत्तम आहार है, आम धारणा भी यही कहती है कि शाकाहार करोड़ों-अरबों निर्दोष/मूक प्राणियों की प्राण रक्षा के लिए अच्छा है, मांसाहार के लिए करोड़ों जीव फैक्ट्री फार्म्स अथवा कत्लखानों में अकथनीय यातनाएँ देकर हर दिन मौत के घाट उतार दिए जाते हैं.

क्या आप तैयार हैं?

शाकाहार अपनाइए, यदि आप मूक जानवरों को बचाना चाहते हैं अथवा अपने तन और मन को स्वस्थ रखना चाहते हैं.

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