सोने की चमक के पीछे का 'सच'
बुधवार, 23 मई, 2012 BBC Hindi
दुनिया भर में सोने की मांग तेज़ी से बढ़ रही है. लेकिन हर साल खदानों से निकलने वाले सोने में से आधा सोना कहां से आता है, इसका पता नहीं चल पाता.
मध्य अफ्रीका का देश कॉंगो सोना का बड़ा उत्पादक है, लेकिन सोने की तस्करी और अवैध खदानों में काम करने वालो के शोषण का बड़ा केंद्र भी बन गया है.
न्यामुरहाले नाम की इस जगह पर सोने की खदान में काम करने वाले 38-वर्षीय फॉस्टिन बहोग्वेरे लंबे समय से खदानों में काम कर रहे हैं. वो खुश हैं क्योंकि उन्हें खदान के अंदर सोना दिखा.बीबीसी के हंफ्री हॉक्सली अफ्रीकी देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में एक ऐसी खदान में पहुंचे जहां बच्चे काम करते हैं और जिसके मालिक सेना को कर देते हैं.
वो कहते हैं, "ये खदान मेरी मां और बाप है क्योंकि इसके बिना न तो मैं खाना खा सकता हूं और न ही अपने बच्चों के स्कूल की फीस दे सकता हूं."
लेकिन नए कानूनों के तहत बाल मज़दूरी और सेना को टैक्स देने की वजह से इस खदान को अवैध और भ्रष्ट घोषित कर दिया गया है.
खदान से निकले पत्थरों में सोने की पुष्टि होने के बाद उसकी खरीद-फरोख्त शुरु हो जाती है. क्रिस्टियन रिज़ो सोने के खरीदार हैं. रिज़ो कहते हैं, "अगर मुझे सोने मिलता है तो मै उसे किसी ऐसे व्यक्ति के पास ले जाऊंगा जो मुझे इसके लिए पैसा दे सकता है."
काला बाजार
कॉन्गो की इस खदान से सोने का सफर शुरु होता है जहां से वो दुनिया भर में पहुंचता है. सड़क और फिर विमान द्वारा पड़ोसी देशों से होता हुआ सोना अक्सर अंतरराष्ट्रीय काले बाज़ार में पहुंचता है.
काले बाज़ार का एक क्षेत्रिय केंद्र युगांडा है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक कॉन्गो के पड़ोसी देश युगांडा पहुंचने वाले सोने का महज़ 15 फीसदी ही रिकॉर्ड होता है यानी 85 फीसदी सोना अंतरराष्ट्रीय काला बाज़ार में पहुंचता है. और इस सोने की पहली मंज़िल मध्यपूर्व या एशिया होता है.
एडवर्ड सेक्येवा युगांडा में एक खनिज विश्लेषक हैं. वो बताते हैं, "कॉन्गो से सोना सीमा पर पहुंचता है और वहां से कंपाला, एंटेबे, दुबई और हॉन्गकॉन्ग पहुंचता है. इसमें से अधिकतर सोना अवैध है क्योंकि ये अघोषित सोना है."
लेकिन ये वैध-अवैध और नैतिकता पर बहस दूर कॉन्गो की खदानों तक नहीं पहुंचती. वहां बच्चे काम करते हैं और सेना को पैसा दिया जाता है.