बुधवार, 10 जुलाई 2013

मांस निर्यात नीति की समीक्षा हेतु याचिका: अपनी राय १७ जुलाई २०१३ के पहले केंद्र सरकार को ईमेल करें

कृपया इस संदेश को व्हाट्सऐप एवं फेसबुक पर अधिक से अधिक लोगों के साथ साझा करें.

मांस निर्यात नीति की समीक्षा करने सम्बन्धी याचिका समिति के सदस्य ४ जून२०१३ को रायपुर में विराजित श्वेताम्बर जैन आचार्य श्री रत्नसुन्दर सूरीजी महाराज से मिलने आए थे. इस संबंध में भारत सरकार ने आम जनता से भारत सरकार की मांस निर्यात नीति की समीक्षा के बारे में राय आमंत्रित की है. आप सभी से अनुरोध है कि आप अपनी राय और समर्थन-पत्र डाक से अथवा ईमेल द्वारा १७ जुलाई २०१३ के पहले-२ राज्य सभा की समिति तक भिजवा दें. आईए सच्चे अहिंसक एवं गोमाता के भक्त कहलाने वाले सभी मिलकर इस अभियान को सफल बनाएँ. 

यह समीक्षा याचिका श्वेताम्बर जैन आचार्य श्री रत्नसुन्दर सूरीजी महाराज ने दायर की है. हम भारत से मांस निर्यात को रोकने के लिए दायर की गयी याचिका के सम्बन्ध में अधिक से अधिक संख्या में समर्थन-पत्र उक्त समिति को भिजवाना चाहते हैं.

श्वेताम्बर जैन आचार्य श्री रत्नसुन्दर सूरीजी महाराज द्वारा दायर भारत सरकार की मांस निर्यात नीति की समीक्षा याचिका के समर्थन में आप ट्वीट्स, व्हाट्सऐप, फेसबुक आदि पर पसंदटिप्पणियां भेजें और हमारी बात को देश के करोड़ों लोगों के बीच सामाजिक मीडिया पर साझा करे. 

दिए गए प्रारूप में भारत सरकार को याचिका हेतु समर्थन- पत्र तुरंत लिखें ..... 

------------
समिति का ईमेल पता है:
 < rsc2pet@sansad.nic.in > 
प्रतिलिपि इस पते पर भेजें: < info@viniyogparivar.org > , pashuraksha@gmail.com 

सभी से अनुरोध है कि आप अपनी राय और समर्थन-पत्र डाक से अथवा ईमेल द्वारा १७ जुलाई २०१३ के पहले-२ राज्य सभा की समिति तक भिजवा दें. 


प्रति.
श्री आरपी तिवारी
उप निदेशक
राज्यसभा सचिवालय 
संसदीय सौध
नई दिल्ली -110001 


विषय: मांस निर्यात नीति की समीक्षा हेतु याचिका


आदरणीय सदस्य

मौजूदा मांस निर्यात नीति की समीक्षा के लिए याचिका के संबंध में सभी हितधारकों से प्रेस विज्ञप्ति द्वारा प्रतिक्रियाएं  आमंत्रित किए जाने के संदर्भ मेंमैं सुझाव देता हूँ कि अन्य देशों को मांस निर्यात करने के लिए भारत में पशुओं का वध कतई वांछनीय नहीं है और तुरंत रोका जाना चाहिए. 

"बूचड़खानों की दीवारें यदि काँच की होती तो सारा विश्व शाकाहारी बन जाता."  पर दुर्भाग्य से मांसाहारियों को कभी भी कत्लखानों के अंदर निरीह जानवरों पर होने वाले अत्याचारों और भयावह क्रूरताओं का पता नहीं चलता.

एक भारतीय नागरिक के रूप में मैंपशुओं के संरक्षण और पशु नस्लों में परिष्कार तथा मांस निर्यात करने के लिए गायों, बछड़ों, अन्य दुधारू और वाहक पशुओं के वध का तीव्र निषेध करता हूँ और मांस निर्यात रोकने सम्बन्धी याचिका को अपना पूरा समर्थन देता हूँ. 

समिति से निवदन है कि वह कृपया ध्यान दे कि भारत से मांस आयात करने वाले देशों द्वारा यह अनिवार्य शर्त लगाई जाती है कि केवल स्वस्थ गायों, बछड़ों, अन्य दुधारू और वाहक पशुओं का मांस ही उन्हें भेजा जाए. स्वस्थ और उपयोगी पशुओं का वध करके उनके मांस का निर्यात करने से देश को भारी नुकसान हो रहा है जिसका आंकलन सरकार ने आज तक नहीं किया.

यही पशु देश के लिए दूध, गोबर, गोबर से बने उपले/कंडे उपलब्ध करवाते हैं, जो ईंधन का सस्ता और अच्छा स्रोत हैं; देश की करोड़ों रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत करते हैं, जो कि रसोई गैस के आयात पर खर्च होती है. गोबर की खाद, बैल और सांड का खेती आदि में उपयोग होने से डीजल और खाद के आयात पर खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा की भारी बचत होती है. हमारे संविधान ने भी जीवदया और पशुओं के प्रति संवेदना की बात कही है उनके संरक्षण के लिए केन्द्र सरकार को निर्देशित किया है. 

गोबर गैस जिसे बायोगैस के नाम से भी जाना जा सकता है, पशुओं का संरक्षण करते हुए सरकार बायोगैस को इस्तेमाल को लागू करने का क्रांतिकारी कदम उठाए,  तो देश रसोई गैस पर खर्च होने वाली अरबों रुपये की सब्सिडी को बचा सकता है. मांस निर्यात से होने वाली विदेशी मुद्रा के सामने यह राजस्व बचत सैकड़ों गुना अधिक होगी. अमरीका के कैलिफ़ोर्निया प्रान्त में वर्ष २००१ से  बायोगैस के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया गया जिसके परिणाम क्रन्तिकारी हैं सारा प्रान्त बिजली और रसोई गैस के लिए आत्मनिर्भर हो गया, वहाँ सरकार ने इस योजना को प्रोत्साहन दिया है. http://www.epa.gov/greenpower/documents/events/10nov11_californiabioenergy-abec.pdf

क्या भारत जैसे कृषि-प्रधान देश में हम इस तरह की योजनाएं लागू नहीं कर सकते? ज़रूर कर सकते हैं, बस आप कदम बढ़ाइए, सारा देश साथ देगा. दुनियाभर में आज पशुओं के संरक्षण परबहस छिड़ी हुई है और भारत में सरकार मीट लॉबी के आगे अर्थव्यवस्था के वृहत्तर हित की अनदेखी कर रही है. 

मांस निर्यात से देश को अथवा देश की अर्थव्यवस्था को भयंकर हानियाँ हो रहें, विदेशी मुद्रा की आय तो केवल दिखावा भर है. मांस निर्यात से यदि किसी को लाभ है तो वो केवल मांस निर्यात करने वाली फर्मों/कंपनियों भर को.

यहाँ यह स्पष्ट करना ठीक होगा कि मांस निर्यात पर रोक से राजस्व हानि की जो बात की जाती है वह सरासर गलत है क्योंकि आपने पशुधन के संरक्षण से होने वाले पर्यावरणीय, आर्थिक एवं सामाजिक लाभों का कोई आंकलन किया ही नहीं. आप सरकार को निर्देश जारी कर पशुओं के संरक्षण से होने वाले सभी लाभों का समीचीन आकलन करवाए और देश के सामने रखे. 


मैं याचिकाकर्ता श्वेताम्बर जैन आचार्य श्री रत्नसुन्दर सूरीजी महाराज का समर्थन करता हूँ और समिति के माननीय सदस्यों से अनुरोध करता हूँ कि भारत जैसे कृषि-प्रधान देश से मांस निर्यात को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाए.  आप शीघ्र ही मांस निर्यात नीति को प्रतिबंधित करने के लिए केन्द्र सरकार को अपनी अनुशंसा भेजें ताकि देश का भविष्य सुरक्षित हो सके.

भवदीय

(
आपका नाम) 

(आपका पता) 







निम्न लिंक पर जाकर याचिका क्र. ११ देख सकते हैं :
http://164.100.47.5/rshindisite/press_release/pet_show.aspx
अंग्रेजी में याचिका हेतु समर्थन-पत्र का प्ररूप :

To,
Shri R. P . Tiwari
Deputy Director,
Rajya Sabha Secretariat
Parliament House Annexe
New Delhi 110001


From,
Name: _______________________________________
Address:_____________________________________
_____________________________________________
_____________________________________________
Email:_______________________________________
Contactno:___________________________________

Sub : Petition Praying review of Meat Export Policy.
Respected Sir,


The assumption that animals are without rights, and the illusion that our treatment of them has no moral significance, is a positively outrageous example of Western crudity and barbarity. Universal compassion in the only guarantee of morality.” …By Arthur Schopenhauer.


With the above line, in respect to the captioned petition praying review of “Meat Export Policy” I an  Indian citizen would like to give my full support to Protect, Preserve and improve animal breeds and prohibit the slaughter of cows and calves and other milch and draught cattle.
I hereby consent to the review of “Meat Export Policy” in accordance with the Constitution of India. The Constitution of India has been drafted keeping in mind the progress and welfare of the Indiasociety. Violation of the same should not be pardoned.
I request the committee to kindly take note that all the meat importing countries who import meat from india, mandate importing meat of only healthy cows and calves and other milch and draught cattle i.e who are productive enough to give good source of revenue through various means like milk, cow dung for manure and farming purposes, whereas our constitution says not to slaughter such healthy and productive cattle.
I request the committee to
1.   Put efforts in increasing the agricultural output which in turn will also provide fodder for cows, calves and other milch and draught cattle so that scarcity of fodder is reduced and animal conservation increases.
2.   Stop the meat export completely to save the farmers and the future of India.
3.   Take strong and immediate steps for preserving and improving animal breeds and prohibiting the slaughter of cows and calves and other milch and draught cattle.

It’s time to implement “Animal Safety Policy” and to rescind the “Meat export Policy”.

“If slaughterhouses had glass walls, we would all be vegetarian.” …By Anonymous

Thanking you





(Signature) 

शनिवार, 29 जून 2013

औषधि महानियंत्रक ने भारत में प्रसाधन सामग्री के पशुओं पर परीक्षण पर लगाया प्रतिबन्ध


विभिन्न पशु कल्याण संगठनों के एक गहन अभियान और माननीय सांसद श्रीमती मेनका गांधी के सहयोग एवं ऑनलाइन अभियानों की जबरदस्त प्रतिक्रिया के बाद  भारत के औषधि महानियंत्रक (औमनि)डॉ. जीएन सिंह ने घोषणा की है कि भारत में जानवरों पर सौंदर्य प्रसाधन और उनकी सामग्री का परीक्षण करने की अनुमति नहीं मिलेगी . यह  ऐतिहासिक घोषणा भारतीय मानक ब्यूरो की प्रसाधन अनुभागीय समिति की बैठक के दौरान की गईइससे पहले इस सप्ताहपेटा भारत की विज्ञान नीति सलाहकारडॉ. चैतन्य कोदुरी ने इस प्रतिबंध को लागू करने के लिए डॉ. सिंह के साथ एक निजी बैठक में आग्रह किया था.

पेटा भारत के अभियान को सभी प्रमुख व्यक्तियों से समर्थन मिला. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हाल ही में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद कार्यालय के माध्यम से सौंदर्य प्रसाधन और उनकी सामग्री के पशु परीक्षण पर प्रतिबंध लगाने के पशु कल्याण संगठनों के अनुरोध पर विचार करने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से आग्रह किया था जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी ने अपने कार्यालय के माध्यम से यही मांग रखी थी.

श्री संतोष चौधरीस्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के नव नियुक्त राज्य मंत्रीडॉ. मिर्जा महबूबजम्मू और कश्मीर सरकार के स्वास्थ्यचिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण के पूर्व कैबिनेट मंत्री और यशोधरा राजे सिंधियापूर्व पर्यटनखेल एवं युवा कल्याण मंत्री मध्य प्रदेश सरकार आदि ने सभी जानवरों पर सौंदर्य प्रसाधन और उनकी सामग्री के परीक्षण पर पूर्ण प्रतिबंध के पक्ष में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को मजबूत अपील भेजी थी. श्री महबूब ने जम्मू एवं कश्मीर में श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया, जो एक चिकित्सक भी हैं. सांसद मेनका गांधी ने इस प्रतिबंध  को लागू करवाने के लिए काफी प्रयास किए.

बहुराष्ट्रीय कंपनियों (बराक) बॉडी शॉप और लश के साथ ही भारतीय कंपनियों ओमवेद लाइफस्टाइलशहनाज हुसैन और अन्य ने पशु कल्याण संगठनों का पक्ष सुनने के बाद प्रतिबंध के पूर्ण समर्थन में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को पत्र लिखा था. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषदजीवन विज्ञान शिक्षा और भारतीय जीव-जंतु कल्याण बोर्ड, जो एक एक वैधानिक सलाहकार निकाय है,  पशुओं के वैकल्पिक प्रयोग के लिए कार्यरत महात्मा गांधी डोरेनकांप  सेंटर के अधिकारियों ने भी प्रतिबंध के प्रति पूर्ण समर्थन व्यक्त किया था.

औमनि की घोषणा ऐसे समय में आई है जब यूरोपीय संघ और इजरायल ने सौंदर्य प्रसाधनों के पशुओं पर परीक्षण पर प्रतिबन्ध लगाया है,  जिसमें पशुओं पर परीक्षित किए गए सौंदर्य प्रसाधनों की बिक्री पर प्रतिबंध भी शामिल हैंभले ही ऐसे परीक्षण किसी भी स्थान पर किए गए हों. इसराइल ने घरेलू उत्पाद का जानवरों पर परीक्षण तो प्रतिबंधित किया ही है जानवरों पर परीक्षित घरेलू उत्पाद और अन्य सामग्री के साथ ही इस तरह के उत्पादों की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. घरेलू उत्पादों में क्लीनर और डिटर्जेंट में शामिल हैं.

सोमवार, 8 अप्रैल 2013

गुजरात में गिरनार की यात्रा करने वाले जैन तीर्थ यात्रियों पर बढ़ते निरंतर अत्याचार, पाँचवीं टोंक पर आने वाले जैनों से मार-पीट और गली-गलौच, जान से मारने की धमकी


गुजरात में गिरनार की यात्रा करने वाले जैन तीर्थ यात्रियों पर बढ़ते निरंतर अत्याचार, पाँचवीं टोंक पर आने वाले जैनों से मार-पीट और गली-गलौच, जान से मारने की धमकी

क्या यही है “कुछ दिन तो गुजारो, गुजरात में” का नारा

२७ मार्च २०१३
हृदय कम्पित कर देने वाला वाक्या फिर हुआ गिरनार वंदना के दौरान - जरुर पढ़े

455 लोगों ने की इस होली पर जैनधर्म के २२वें तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान् की मोक्षस्थली गिरनार पर्वत की यात्रा की जिसमें  महिलाए, बच्चे, किशोर बालक तथा बालिकाए सभी शामिल थे !

चौथी तथा पांचवी टोंक पर हमारे कुछ साथियों  को उकसाया गया, उसको भद्दी गलिय दी गयी, उनको बंधक बनाया गया, कथाकथित महंत/पंडो द्वारा पीटा गया, जिसका पूरा सपोर्ट दिया ड्यूटी पर तैनात पुलिस वाले, तथा उस पुलिस वाले ने भी डंडे मारे और दोनों पक्षों को सुने बिना हमें जिम्मेदार मानकर हमारे साथियों को भद्दी गालियाँ  दी [ जिसकी हमारे पास फोटो और नाम दोनों है ] !! --- ये रोंगटे खड़े कर देने वाला वाकया पढ़े और जाने कि गिरनार पर्वत पर धर्म की आड़ में गुंडागर्दी और आतंक का वातावरण बनाया गया है !!

क्यों शांतिप्रिय जैनों पर अत्याचार किए जा रहे हैं और सरकार चुप है ?

हम सब लोग 29 मार्च २०१३ को शाम तक गिरनार जी जूनागढ़ पहुँचे जहाँ  आचार्य श्री निर्मलसागर जी महाराज सासंघ के दर्शन किये तथा उनसे अगले दिन यात्रा करने का आशीर्वाद लिया, महाराज जी बताया की पहाड़ पर एक कम 10,000 सीढ़ियाँ  है और कहा की शांति से यात्रा करना तथा तीसरी और पांचवी टोंक पर णमोकार मंत्र, नेमिनाथ भगवान् की जय, या जाप आदि कुछ नहीं करना, ना ही चावल, बादाम आदि कुछ नहीं चढ़ाना, बस शांति से जाना इन दोनों टोंक पर, और पहली टोंक पर अपना मंदिर है वहा अच्छे से दर्शन करो पूजा अभिषेक सब करना तो हम सबने निर्णय लिया की हमें ये सब पूरी तरह से फॉलो करना है और अगर वे उकसाए तो भी शांति से सहन करना क्योकि हम दर्शन करने आये शांति से तथा हमें विवाद में नहीं पड़ना इसलिए हम इन टोंक पर समूह में जायेंगे तो शांति से दर्शन करके आ जायेंगे !


सामान्तः हम जैन लोगों में सफ़ेद वस्त्र पवित्रता और शांति का प्रतिक माना जाता है तथा हम बड़ी विशेष यात्रा सफ़ेद वस्त्र जैसे कुरता पाजामा आदि पहनकर ही यात्रा करते है, गिरनार यात्रा के लिए भी 455 में से अधिकतर लोगों ने सफ़ेद कुरता पाजामा, कमीज आदि ही पहनी और सुबह लगभग 3 बजे सबने पहाड़ पर चढ़ना शुरू किया, जब हम सबने पहाड़ पर चलना शुरू किया तो हम लोग उत्सुक थे कि  नेमिनाथ भगवान् ने यहाँ तप करके मोक्ष प्राप्त किया, राजुल ने यही तप किया तथा और भी अनेक विशेष कथाये इस पर्वत से जुडी है!

सबसे पहले हम लोग पांचवी टोंक की और जा रहे थे, तब सबने कहा की हमें समूह में जाना है क्योकि कुछ महिलाए बच्चे आदि डर रहे थे क्योकि गिरनार पर प्रबलसागर जी महाराज पर हुए हमले के बारे में सबने सुना था, जैसे की आप जानते होंगे पांचवी टोंक पर बहुत ज्यादा जगह नहीं है तो एक साथ में लगभग 10-12 लोग ही जा सकते है तो सबने थोडा थोडा दर्शन करना शुरू किया और लोग निकलते जा रहे थे, और लोग लाइन से दर्शन कर रहे थे, जब हमारा नंबर आया जिसमें  अमित मोदी [गुडगाँव], चन्द्र प्रकाश मित्तल [गुडगाँव], निपुण जैन [दिल्ली], सन्मति जैन [जापान] आदि लोग शामिल थे, वह पर बैठा हुआ महंत लगातार चिल्ला रहा था 'जल्दी जल्दी निकल यहाँ से, शांनापंती नहीं दिखाने का' और वो घुर घुर कर सबको डरा रहा था, लगा मानो हम अपराधी है और सजा पाने आये है वहा, तब जैसे की सभी एक राउंड लगाते है चरण के चारो और ऐसे हमने भी राउंड लगान शुरू किया तब हमारे संघ संचालक चन्द्र प्रकाश मित्तल जी ने ढोंक दी तो पांडा बोला 'ढोंक नहीं देने का' और वो एकदम खड़ा हो गया और अमित मोदी जी को एक डंडा बहुत जोर से मारा [उस महंत के पास बहुत मोटा डंडा था, ] हम समझ ही पाते की दूसरा डंडा चन्द्र प्रकाश मित्तल जी को जैसे ही मारना चाहा तो उन्होंने जैसे ही अपने बचाव में अपना हाथ आगे किया तो डंडा सीधा उनके हाथ में आगया तो उन्होंने डंडा लेकर फेक दिया [ हम चाहते तो उस समय कुछ भी कर सकते थे, सब जवान थे, युवा थे, पर हम विवाद करने नहीं बल्कि शांति से दर्शन करने गए थे] तो फिर डंडा को साइड में फेका तो वो महंत को पता नि क्या हुआ वो बहुत बुरी बुरी गालियाँ  देने लगा और बोलने लगा अभी शंख फूंकता हूँ, और उसने एकदम बार बार शंख बजाना शुरू कर दिया और शोर मचाने लगा की कुरता पाजामा वालो को पकड़ो तब पांचवी टोंक के आस पास की महिलाय डर गयी और उस समय वहा एक भगदड़ सी का वातावरण  बन गया तथा बच्चे रोने लगे ! ये सब एकदम अचानक से हुआ हम सब लोग हक्के बक्के थे की हमने तो कुछ नि किया फिर ये ऐसा आतंक का वातावरण  क्यों बनाया और डंडा क्यों मारा !

फिर हम सब युवाओ और पुरुष वर्ग ने वहा पर शांति बनाने की कोशिश की तथा भगदड़ के वातावरण  को शांत करने की कोशिश की और फिर वातावरण शांत हो गया, तब फिर हम लोगों ने चौथी टोंक पर चढ़ना शुरू किया जो की कच्चा और खड़ा पहाड़ का रास्ता है, उस पर सब लोग चढ़ रहे थे बच्चे महिलाए सब शामिल थे, और मैं [निपुण जैन, दिल्ली] तथा भाई साधर्मी सन्मति जैन, जापान - हम दोनों साथ में चढ़ रहे थे और हम दोनों लगभग 75% पहाड़ को पार कर चुके थे तथा बहुत ऊंचाई पर थे, तभी एक शोर आया तो देखा निचे कुछ पण्डे खड़े है जिनके हाथो में मोटे मोटे पत्थर है जो बोल रहे थे 'यही है सफ़ेद कपडे वाले दोनों' 'इन दोनों को पकड़ो' और उन्होंने कहा 'निचे उतरता है या वही पत्थर मारू' साथ में पुलिस वह भी यही कह रहा था और इतनी गन्दी गालियाँ  दे रहा था पुलिस वाला और वो पण्डे की मैं यहाँ उन गलियों के शब्दों को नहीं कह सकता, अचानक ऐसा वातावरण  बनाने पर सब लोग हम घबरा गए की पता नि क्या हुआ जो ऐसे हमें बुला रहे है, और जल्दी जल्दी उतरने के लिए वे बोलने की नहीं तो पत्थर मरता हूँ और साथ में पुलिस वाला ऊपर  से मानसिक प्रताड़ना दे  रहा था, तब हमने जल्दी जल्दी उतरना शुरू किया, कुछ महिलाए तो विशेष रूप से घबरा गयी थी, और बच्चे रोने लगे थे और बड़े ही सहम गए थे तब हम जल्दी जल्दी उतरने के चक्कर में मैं [निपुण जैन ] और एक छोटा बच्चा, हम दोनों ऊंचाई से एकदम फिसल कर गिर पड़े, गिरते ही पुलिस वाले ने सन्मति जैन और मुझे पकड़ लिया और मुझे [निपुण जैन] दो डंडे मेरे पीछे बहुत तेज तेज मारे जिसका दर्द आज सात दिन निकाल जाने के बाद भी हल्का हल्का मुझे है !

फिर पण्डे और पुलिस वाला बोलना लगा इन दोनों को आश्रम में ले चलो [पंडो का रहने का स्थान जो की पांचवी टोंक और चौथी टोंक के बीच में एक साइड में रास्ता जाता है वह पर है ] और वे 4-5 पण्डे और पुलिस वाला हम दोनों [निपुण और सन्मति] को पकड़ कर आश्रम में ले गए, वह लगभग 7-8 पण्डे थे एक सबके हाथो में बहुत मोटे मोटे डंडे थे और दिखने में बड़े ही भयानक लगते थे, एक बोल रहा था इन दोनों को यही से निचे फेक को, कोई कहता था इनकी हड्डी तोड़ दो, कोई कहता था इनको अन्दर ले चलो हम अभी बताते है इनको ठीक, तो एक बोल रहा था इनको ब्लेड करो हाथो पैरो में वैसे भी आत्मा तो अमर है तब इनको दर्द होगा और आश्चर्य था की पुलिस वाला उन पंडो का साथ दे रहा था और लगातार गालियाँ  दे रहा था, और बोल रहा था की एफआईआर  होगी तुम दोनों के ऊपर , तो हमने बोल हमने किया क्या है ये तो पता चले, वो समय मेरे जीवन में सबसे भयभीत कर देनेवाला समय था, और एक पल के लिए लगा मानो प्रबल्सागर जी से भी भयानक हम दोनों के साथ आज होने वाला है, जब भाव आया की आत्मा अजर अमर है अगर हमें कुछ होता भी है तो हम शांति से सहन करेंगे, ये नेमिनाथ भगवन की मोक्ष भूमि है हमारी गति शांति भावो से सही होगी !


वो पुलिस वाला बार बार बोलता था तुम दोनों ने महंत की लकड़ी कहा फेक दी ? तो हमने कहा हमें किसी लकड़ी का नहीं पता और हमने कोई लकड़ी नहीं फेकी, इस तरह बार बार वो बोलता था कि स्वीकार  करलो कि  तुमने महंत की लकड़ी फेंकी है तब हम भी बार बार कह रहे थे जो काम हमने किया ही नहीं उसको कैसे मान ले ? तब वो बोल की चलो अभी पांचवी टोंक पर लेकर चलता हूँ तुम दोनों को और महंत से पुछवाता हूँ और अगर महंत ने तुमको पहचाना तो फिर तुम दोनों की खैर नहीं आश्रम में लेकर तुमको इतना मारूंगा की आना भूल जाओगे यहाँ तब वो हमको फिर पांचवी टोंक पर लेकर गया हम लोग बहुत ज्यादा थके हुए थे ऊपर  से सब मानसिक शोषण हो रहा था तब ऊपर  से फिर पांचवी टोंक पर जाना बहुत भयभीत करदेने वाला समय था हमारे लिए लेकिन हम शांति से सब सहन करते हुए चल रहे थे वो पुलिस वाला हमें एक सेकंड के लिए भी रुकने नहीं देता था और बोलता था चलते रहो जबकि हमारी साँस भी फुल रही थी क्योकि गर्मी भी बहुत थी और हमें इतनी आदत भी नहीं की इतना चले वो भी ऐसी परिस्थिति में चलना, तब हम पांचवी टोंक पर पहुँचे  तो उस पुलिस वाले ने महंत से पूछा की ये दोनों ही थे क्या लकड़ी फेकने वाले ? तो महंत ने कहा ये दोनों ने नहीं थे पर इनके साथी थे, और हम दोनों को बोला 'तुम लोगों को निचे से जहर देकर ऊपर  पहाड़ पर भेजा जाता है' 'अगर लकड़ी नहीं दी तो अभी यही से फेक दूंगा तुम दोनों को' तभी वह खड़े एक पण्डे में मेरे सर पर पीछे से बहुत से थपक मारा [ मेरा तो सर ही चकरा गया था एक दम से] फिर पुलिस वाले थे बोल अब भी समय है मान लो की तुमने लकड़ी फेकदी, फिर जहाँ  पांचवी टोंक पर चरण बने है उसके साइड में एक छोटा सा दरवाजा है जहाँ  पुलिस वाला हम दोनों को ले गया, और हम दोनों को फिर उसने मानसिक रूप से बहुत प्रताड़ित किया और हमको उठक-बैठक लगाने को कहा !

मरता क्या ना करता हम अकेले थे, मजबूर थे, हमने उठक-बैठक लगानी शुरू की, हमारा गला बिलकुल सुखा हुआ था हमें प्यास लगी थी, उस पुलिस वाले में पानी पिया और मैंने भी माँगा तो गाली देने लगा और पानी नहीं दिया जबकि वह दो मटके पानी के भरे हुए रखे थे, उस समय मुझे लगा मानो मैंने कोई बहुत बुरा अपराध किया जो मुझे ये सजा मिल रही है और मन में आया की नेमिनाथ भगवान ने जहाँ  से कर्मो को तोड़ किया और मोक्ष प्राप्त किया, क्या ऐसी पवित्र जगह पर आना ही मेरा अपराध है ??? उस समय सन्मति भाई और मुझे लगा शायद हमारे साथ कुछ होता है तो शायद वो अब तो जैन समाज के लिए 'जगाने' का काम कर जाए क्योकि हम अहिंसा की आड़ में कायर हो चुके है, फिर सन्मति भाई ने कहा की णमोकार का मन में जाप करो और नेमिनाथ भगवन को याद करो अगर कुछ होता भी है तो शांति से बस भगवान् को याद करते रहो ! तब तक हमारे ग्रुप में ये बात पहुच गयी थी की दो सदस्यों को बंधक बनाया गया है और उनको परेशान किए जा रहा है, और तभी चन्द्र प्रकाश मित्तल जी ने निचे आचार्य निर्मलसागर जी महाराज के साथ में रहने वाले ब्रम्हचारी भैया को फ़ोन लगाया और उनको परिस्थिति बताई क्योकि चन्द्र प्रकाश मित्तल जी नहीं चाहते थे की कोई अप्रिय घटना हो, वे चाहते थे शांति से निपटारा हो और हम लड़ाई के लिए नहीं बल्कि दर्शन के लिए आये थे, तब ब्रम्हचारी भैया ने कहा की वे पुलिस ऑफिस जा रहे है और आप उस पुलिस वाला को जिसने दो लोगों को बंधक बनाया है उस पुलिस वाले को बोलो की तुम्हारी शिकायत नीचे की जा चुकी है और अब हमारे साथियों को छोड़ दे वरना, तुम्हारी खैर नहीं !

पुलिस वाला हमसे कहने लगा तुम्हारे साथ और कौन लोग थे, तो हमने कहा हम लोग ग्रुप में आये है लगभग 450 लोग है और तो पूछने लगा कहा से आये हो तो हमने कहा दिल्ली से तो फिर गालियाँ  देने वाला ! हम दोनों हाथ जोड़ जोड़ कर थक गए कहते कहते की हमने कुछ नहीं किया और हमें छोड़ दे या फिर अगर केस करना भी है तो थाने चल पर यहाँ हमें बंधक जैसा क्यों रखा हुआ है !! फिर उसने कहा अपने साथियों  को फ़ोन लगा, बहुत ही बत्तामीजी से बोल रहा था, मानो हम कोई गंभीर अपराध करके आयो हो तब वह सिग्नल भी नहीं मिलते पर थोड़ी देर बाद चन्द्र प्रकाश मित्तल जी का फ़ोन मिल गया मैंने उनको बताया की पुलिस वाले तथा पंडो ने हमें बंधक बनाया है और आपको आने के लिए बोल रहा है, तब मैंने पुलिस वाले को कहा की डायरेक्ट बार कार्लो तो वो बात करने के लिए रेडी नहीं था लेकिन बार बार कहने पर उसने चन्द्र प्रकाश मित्तल जी से फ़ोन पर बात की ! तब चन्द्र प्रकाश मित्तल जी पुलिस वाले को यही सब कहा की तुम्हारा नाम क्या है, और तुमने हमारे साथियों को बंधक क्यों बनाया और अगर उन दोनों ने कुछ किया भी है तो उनको थाने क्यों नहीं लेकर गए वह पांचवी टोंक पर क्यों रखा है उनको, और काफी कहने के बाद भी पुलिस वाले ने अपना नाम नि बताया, तब फिर चन्द्र प्रकाश मित्तल जी ने कहा की तुमारी शिकायत की जा चुकी है अब हमारे साथियों को छोड़ दो वरना तुम्हारी खैर नहीं ! तभी हमारे ग्रुप से एक भैया [विपिन जैन] वहा पांचवी टोंक पर पहुँचे  तो पंडा उनको रोकने लगा तब विपिन भैया ने कहा मुझे तुमसे नहीं पुलिस वाले से बात करनी है तू साइड हो जा अब, तब विपिन भैया ने कहा इन दोनों ने क्या किया है जो इनको बंधक क्यों बनाया है और इनको छोड़ दो और अगर कुछ करना भी है थाने चलते है वही बात होगी, तब पुलिस वाले ने महंत से पूछा की क्या मैं इन दोनों को छोड़ दूं, जैसे कुत्ता मालिक के कहे बिना एक साँस भी नहीं लेता, तब महंत ने कहा हाँ तो पुलिस वाले ने छोड़ दिया !


फिर हम निचे उतरने लगे और साथ में पुलिस वाला भी उतर रहा था, तब वही निचे उतारते हुए आश्रम पड़ा जहाँ  पर हमारे ग्रुप के लगभग 100 लोग पहुच चुके थे वहा एक पुलिस वाला पहले से था और एक ये जो हमारे साथ आया था इस तरह दो पुलिस वाले थे अब, तब हमारे ग्रुप से कुछ वरिष्ठ लोगों ने पुलिस वाले से कहा आप लोगों को यहाँ पहाड़ पर दर्शन करने वालो की सुरक्षा के लिए रखा गया है तथा ये वर्दी जिसको आप पहने हो ये भारत की आन शान है अगर आप लोग ही वर्दी में ऐसे काम करोगे तो हम सामान्य जनता कहा जायेगी ? अगर रक्षक ही भक्षक बनेगा तो हम कहा जायेंगे और क्या आप दोनों पुलिस वालो को लगता है की हम सफ़ेद कपडे पहनकर महिलाओ और बच्चे के साथ यहाँ कुछ व्यवस्था बिगाड़ने आये थे ? क्या यहाँ हम विवाद करने आया है ? जिनका पुलिस वाले के पास कोई उत्तर नहीं था, फिर हमने उस पुलिस वाले का नाम लिखा और फोटो ली, [दोनों पुलिस वाले फोटो और नाम देने के लिए रेडी नहीं थे, बड़ी मुश्किल से हमने फोटो ली ] फिर सन्मति भाई और मुझे बहुत ज्यादा प्यास लगी थी मानो गला सुख गया था, लेकिन आपको बता दे की हम 450 लोगों ने प्रण किया था की खाने की तो बात दूर है, चाहे प्राण निकल जाए पर हम पहाड़ पर एक पानी की बोतल नहीं खरीदेंगे, लगभग 1000 सीढ़ियाँ  उतरने के बाद प्रथम टोंक आई वहा हम सबने पानी पिया, वहा मंदिर में अन्दर सब पानी की व्यवस्था है, और फिर हमारे भाव ये भी थे की जिन लोगों ने पहाड़ पर धर्मं के नाम पर गुंडागर्दी मचाई है उनको तो बिलकुल भी सपोर्ट नी करना ! फिर हम पहली टोंक पर आये और सबने भाव से दर्शन किया तथा लगभग 150 ने अभिषेक तथा सामूहिक पूजन किया !

नीचे आकर हम आचार्य निर्मलसागर जी महाराज जी से मिले तथा हमने कहा कि हम एफआईआर  करवाना चाहते है आदि बातें  बताई तो ब्रम्चारी भैया ने हम को कुछ फ़ोन नंबर दिए तब हम लगभग 100 लोग आईएएस  ऑफिसर से मिलने गए [तब धुप बहुत तेज थी ऊपर  से हम बहुत थके हुए थे पर हम नहीं चाहते थे की आगे भी किसी के साथ हो इसलिए हमारी धर्मं भावना के आगे शारीरिक थकान का हमें पता ही नहीं चला] आईएएस  ऑफिसर से हम लोग मिले और उनसे सब बातें  बताई जिसमें  हम अमित मोदी, चन्द्र प्रकाश मित्तल, सन्मति जैन तथा निपुण जैन [ मैं ] हम चारो victim थे, तथा सारी बातें  सुनने के बाद आईएस ऑफिसर जो थे उन्होंने तभी एसीपी  तथा डीसीपी  साहब को फ़ोन किया और ये सारी बातें  बताई तथा कहा की अगर पर्यटकों के साथ ऐसा होता है तो ये बिलकुल भी सहन नहीं होगा इससे गुजरात का नाम खराब होगा, और हम जानते है आप जैन लोग सरल स्वाभावि होते है, फिर उन्होंने एक विशेष बात बोली उस पुलिस वाले के बारे में 'वो जिसकी खाता है उसकी ही गाता है'. हम पुलिस के अल अधिकारी से ये बात सुनकर बड़े अचम्भे में थे तथा वे बहुत हैरान हुए जब उन्होंने मेरे से सुना कि  पुलिसवाले ने खुद दो डंडे मुझे बारे, तब उन्होंने फिर डीसीपी  साहब के पास जाने का हम सबको कहा तथा हमारी एप्लीकेशन की एक कॉपी अपने पास रखी !

फिर हम डीसीपी साहब के पास गए उनको बातें  बताई तो वे भी थोडा हैरान थे, और उन्होंने तभी कांस्टेबल को बुलाया और कहा इन चारो लोगों के बयान दर्ज करो और अभी पहाड़ पर जाओ और उस पुलिसवाले और सब पंडो को पकड़ कर इनसे शिनाख्त करवा कर उनको उठा कर लाओ ! (वाह रे डीसीपी जैसे आप उनको थाने में नहीं बुला सकते थे और फिर पहचान करवाते है ) (सब मिले हुए हैं !!!!)

फिर हम निर्मलसागर जी महाराज के पास गए और उनको सारा वाकया सुनाया कि डीसीपी साहब ने अभी हमको पहाड़ चढ़कर पंडे और पुलिसवाले की पहचान करने को कहा है, हमें अभी पहाड़ पर जाना होगा तब शाम के 7 बजे चुके थे.  तब महाराज जी बोले जो पण्डे दिन के टाइम में पुलिस वाले के साथ मिलकर ऐसा कर सकते है तो रात को तो आपके साथ कुछ भी हो सकता है और हम पुलिस पर भी विश्वास कैसे करे, जब पुलिस वाला पहाड़ पर भी उनके साथ था ? फिर शाम को जाना तो मतलब रात को १-२ बजे तक वापस आना फिर हम ऐसी परिस्थिति में भी नहीं थे कि पहाड़ पर जा पाए हम बहुत थके हुए थे फिर पूरा दिन फिरते फिरते हो गया था ऊपर  से हमने पहले दिन ही खाना खाया था, पूरा से दिन हम भूखे थे, महाराज जी ने कहा जब आप पुलिस वाले का नाम और फोटो दे रहे हो तो उसको पुलिस वाले पकड़ कर क्यों नहीं लाते और थाने में शिनाख्त करवाते ? फिर वो पुलिस वाला ही सब पंडो के नाम भी बताएगा ! तथा महंत भी तो एक ही है तब हमें लगा की मामला इतना सीधा नहीं है फिर जूनागढ़ या कही से कोई हमें guide करने भी नहीं आया ! फिर हवालदार रात को 9 बजे आया की अब चलो पहाड़ पर जैसे कोई बच्चो का खेल हो पहाड़ पर जाना ! तब हमने जाने से इनकार कर दिया और हम फिर उसी रात अहमदाबाद आ गये जहाँ से हमें ट्रेन से दिल्ली वापस आना था!

बस इतना कहना चाहूँगा या तो गिरनार का अस्तित्व भूल जाओ या फिर आगे आकर गिरनार संरक्षण के लिए सम्यक पुरुषार्थ करलो ! ~ श्री सिद्ध क्षेत्र गिरनार की रक्षा, है कर्त्तव्य हमारा, गिरनार तीर्थ है प्यारा, जहाँ नेमी प्रभु ने मोक्ष प्राप्त कर, जीवन अपना संवारा! गिरनार तीर्थ है प्यारा ! जय नेमिनाथ, प्रभु नेमिनाथ !! ये हृदय कम्पित करदेने वाला वाकया  हमारे साथ हुआ जिसको मैंने [निपुण जैन] ने लिखा - Nipun Jain [Delhi, India] -